GANESH CHALISA LYRICS PDF |FREE DOWNLOAD (श्री गणेश चालीसा) IN HINDI

By SHIVAM KASHYAP

Published on:

हीलो दोस्तों,

मेरा नाम श्वेता है और आप सभी का मेरे आर्टिकल में आप सभी का स्वागत है। आज मै आप सभी के लिए रिद्धि सिद्धि के सवामी श्री गणेश चालीसा की आप सभी के लिए लेके आई हु। आप सभी ऑनलाइन पड़ सकते है और इसे डाउनलोड भी कर सकते है मै अपने आर्टिकल में निचे पीडीऍफ़ अपलोड कर दी हु धन्यवाद…….

गणेश चतुर्थी त्यौहार के समय भगवान् गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश चतुर्थी के दिनों में गणेश जी की अपनी भक्तो के बिच रहती है और ऐसी दौरान उनकी दर्शन पाने के लिए बहुत से भक्त उनकी मंदिर जाते है और उनका आशीर्वाद की कामना करते है। उनका दर्शन पाना बहुत ही लाभकारी भी माना जाता है और इनका लाभ पाना बहुत ही आसान भी है।

गणेश चालीसा में कथा का वर्णन है की कैसे गणेश जी को प्रथम पूजें जाने का वरदान मिला। कथा कुछ इस प्रकार है जब भगवन गणेश का जनम हुआ तो आकाश से पुष्प की वर्षा हो रही थी, भगवन शिव और पार्वती प्रसन्न होकर आने वालो को दान-दक्षिणा दे रही थी की उनके घर गणेश जी आये है। देवता, ऋषि-मुनि उनके दर्शनों को आ रहे थे और बालक के दर्शनों का आनंद ले रहे थे|

शनिदेव भी बालक के दर्शन के इच्छा से वही पहुंचे, किन्तु उन्होंने अपनी कुदृष्टि के बारे में सोचकर बालक के दर्शन नहीं करना चाह रहे थे | पार्वती जी ने उन्हें दर्शन करने को कहा तो शनिदेव यह कहकर टालने लगे की बालक को मुझे दिखाकर क्या होगा। शनिदेव के ऐसा कहने से माता पार्वती के मन में शक हुआ कि शनि को मेरे बालक का जन्म उत्सव नहीं भा रहा है | उन्होंने शनिदेव को बालक के दर्शन करने का आदेश दिया| जैसे ही शनिदेव की दृष्टि बालक गणेश पर पड़ी बालक का सिर आकाश में उड़ गया| यह देख पार्वती जी ह्रदय व्याकुल हो गया और वो अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ी|

कैलाश पर चारों ओर शोर हो गया कि देवी उमा के पुत्र का शनि ने नाश कर दिया| यह सब हुआ तो भगवान् विष्णु एक हाथी का सिर लेकर गरुड़ पर सवार कैलाश पहुंचे| हाथी के सर को बालक के धड़ पर लगाया गया और भगवान् शिव ने मंत्र पढ़ बालक को पुनः जीवित कर दिया| भगवान् शिव ने बालक को गणेश नाम दिया और प्रथम पूज्य होने का वरदान दिया|

GANESH CHALISA LYRICS PDF |FREE DOWNLOAD (श्री गणेश चालीसा) IN HINDI

।। श्री गणेश चालीसा ।।

।। दोहा ।।

जय गणपति सदगुण सदन । कविवर बदन कृपाल ।।
विघ्न हरण मंगल करण । जय जय गिरिजालाल ।।
जय जय गिरिजालाल । जय जय गिरिजालाल ।।


।। चौपाई ।।

जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभ काजू ।।
जय गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायक बुद्घि विधाता ।।
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ।।

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ।।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ।।
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्व-विख्याता ।।
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्वारे ।।

कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ।।
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ।।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रुपा ।।
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ।।

अति प्रसन्न ह्वै वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ।।
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ।।
गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रुप भगवाना ।।
अस कहि अन्तर्धान रुप ह्वै । पलना पर बालक स्वरुप ह्वै ।।

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ।।
सकल मगन सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं ।।
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं । सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं ।।
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ।।

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक देखन चाहत नाहीं ।।
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर न शनि तुहि भायो ।।
कहन लगे शनि मन सकुचाई । का करिहौ शिशु मोहि दिखाई ।।
नहिं विश्वास उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कह्यऊ ।।


पडतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ।।
गिरिजा गिरीं विकल ह्वै धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ।।
हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्ह्यों लखि सुत का नाशा ।।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाये । काटि चक्र सो गज शिर लाये ।।

बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मंत्र पढ़ि शंकर डारयो ।।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि वर दीन्हे ।।  
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ।।
चले षडानन भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ।।


चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ।।
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ।।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहस मुख सकै न गाई ।।
मैं मति हीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।।

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग ककरा दुर्वासा ।।
अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।। 
श्री गणेश यह चालीसा । पाठ करै कर ध्यान ।।


।। दोहा ।।

नित नव मंगल गृह बसै । लहे जगत सन्मान ।।
संभंध अपने सहस्त्र दश । ऋषि पंचमी दिनेश ।।
पूरण चालीसा भयो । मंगल मूर्ति गणेश ।।
मंगल मूर्ति गणेश । मंगल मूर्ति गणेश ।।

GANESH CHALISA PDF IN HINDI DOWNLOAD LINK

प्रतिदिन श्री गणेश चालीसा की आराधना करने से घर मे सुख- संपन्नता आती है। श्री गणेश चालीसा करने से मन को शांत भी करता है आप प्रदीन इसका जप करे, श्री गणेश चालीसा का नित्य पाठ करने से गंभीर मुकदमो एवँ परेशानीयो में जीत मिलती है। श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से “बुध दोष” भी दूर हो जाता है।

श्री गणेश चालीसा का नित्य पाठ करने से विद्यार्थियों का मन एकाग्रचित होकर वह नई नई ऊंचाइयों को प्राप्त करते है।.श्री गणेश चालीसा का पाठ कर अपनी मन को शांत करे। श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति सुखी एवँ स्वस्थ रहता है। श्री गणेश जी की कृपा से वह धन धान्य से परिपूर्ण होता है रिद्धि सिद्धि के स्वामी के आशीर्वाद से व्यक्ति की दरिद्रता, कर्ज सहित सभी बाधा दूर हो जाती है। आप सभी के लिए चालीसा का आनद ले।

श्री गणेश जी की पूजा विधि

  • स्नानादि कर पवित्र हो जाएं। जिस स्थल पर प्रतिमा विराजमान करनी है, उसे साफ करें। गंगाजल डाल कर पवित्र करें।
  • भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर विराजमान करें।
  • धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। ध्यान रखें कि जब तक गणेश जी आपके घर में रहेंगे तब तक अखंड दीपक जलाकर रखें।
  • गणेश जी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • फिर चावल, दुर्वा घास और पुष्प अर्पित करें।
  • गणेश जी का स्मरण कर गणेश स्तुति और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • इसके बाद ॐ गं गणपते नमः का जप करें।
  • भगवान गणेश की आरती करें।
  • आरती के बाद गणेश जी को फल या मिठाई आदि का भोग लगाएं। संभव हो तो मोदक का भोग जरूर लगाएं। भगवान गणेश को मोदक प्रिय हैं।
  • रात्रि जागरण करें।
  • गणेश जी को जब तक अपने घर में रखें, उन्हें अकेला न छोड़ें। कोई न कोई व्यक्ति हर समय गणेश जी की प्रतिमा के पास रहे।.
GANESH CHALISA LYRICS PDF |FREE DOWNLOAD (श्री गणेश चालीसा) IN HINDI

श्री गणेश जी की आरती


जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

READ MORE :- BSSC RESULT PDF DOWNLOAD |How can I check my BSSC CGL result?

Leave a Comment